(मीडिया जंक्शन/ राकेश अष्ट):-
त्याग, सेवा और संस्कारों की जीवित प्रतिमूर्ति
गांव धर्मखेड़ी, जिला हिसार की पावन धरती पर 3 जून 1959 को बहू बनकर आईं और अपने दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करने वाली हरियाणा की बेटी श्रीमती कस्तूरी देवी का सम्पूर्ण जीवन त्याग, सादगी, सेवा और उच्च संस्कारों से परिपूर्ण रहा।
3 जून 1944 को जन्मी कस्तूरी देवी जी ने अपने जीवन के हर क्षण को परिवार और समाज के उत्थान में समर्पित किया। हाल ही में उनके स्वर्गवास ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे समाज को शोकाकुल कर दिया है।
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पति का सहयोग और परिवार की नींव
उनके पति श्री रघुबीर सिंह खर्ब, हेड मास्टर पद से सेवानिवृत्त होकर शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे चुके हैं। गृहिणी होते हुए भी कस्तूरी देवी जी ने अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर परिवार को आगे बढ़ाने में अमूल्य भूमिका निभाई। उनकी सादगी और समझदारी ने पूरे परिवार को मजबूत नींव प्रदान की।
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परिवार एवं संतान की उपलब्धियाँ
कस्तूरी देवी जी ने अपने बच्चों को परिश्रम, ईमानदारी और शिक्षा का महत्व सिखाया। आज उनके तीनों पुत्र और दो पुत्रियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर चुके हैं—
श्री वीरेंद्र खर्ब – डीएसपी, हरियाणा पुलिस
श्री कुलदीप खर्ब – डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, Vigilance & Anti Corruption Bureau, पंचकूला
श्री नरेंद्र खर्ब – व्याख्याता, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, जींद
श्रीमती शीला देवी – सुसंस्कारित विवाहिता
श्रीमती सुमन देवी – सुसंस्कारित विवाहिता
उनके पौत्र-पौत्रियाँ आज वकालत, चिकित्सा और अभियांत्रिकी जैसे क्षेत्रों में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। यह सब संभव हो पाया उनके द्वारा दिए गए दृढ़ संस्कारों और जीवन मूल्यों के कारण।
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संस्कारों और समाज सेवा की धरोहर
कस्तूरी देवी जी का सम्पूर्ण जीवन इस सत्य का प्रमाण है कि एक माँ केवल परिवार की आधारशिला ही नहीं होती, बल्कि वह समाज की धुरी भी होती है। उनकी सरलता, सहनशीलता और मातृवत स्नेह ने न केवल अपने परिवार को, बल्कि पूरे गांव व रिश्तेदारी को ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा दी।
गांव के बुज़ुर्ग रोशन ने एक संस्मरण साझा करते हुए कहा—
> “उनकी बहू गिन्नी, अपने पिता की तेहरवी करके चिड़ी गांव से बच्चों के साथ अकेली धर्मखेड़ी लौट रही थी। यह देखकर कस्तूरी देवी जी का दिल पसीज गया और उन्होंने उसे दिलासा देकर उसका हौसला बढ़ाया। तभी से उस बहू ने उन्हें अपनी सगी दादी जैसा मान लिया।”
गिनी अपनी दो मासूम बच्चों के साथ अकेली मायूस अपने घर लौट रही थी जिसे देख कर इनका दिल पसीज गया और इनसे रहा न गया और ये उसे दिलासा देते उसके घर गईं और काफी समय उस अकेली लड़की के साथ एक माँ की तरह रहीं, जिस कारण उस बहू ने दिल से इन्हें अपनी दादी ही बना लिया।
ऐसे अनेक अनुभव गांव वालों ने चौपाल और पंचायत में साझा किए, जो यह दर्शाते हैं कि कस्तूरी देवी जी का जीवन केवल एक परिवार तक सीमित नहीं था, बल्कि वे पूरे समाज की माँ थीं।
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श्रद्धांजलि
11 सितम्बर 2025 को उनकी तेहरवी सम्पन्न हुई, जिसमें परिजनों, रिश्तेदारों और समाज के अनेक लोगों ने भाग लेकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
🙏 ईश्वर से प्रार्थना है कि श्रीमती कस्तूरी देवी जी की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें। उनका जीवन, त्याग और संस्कार सदैव समाज को प्रेरित करते रहेंगे।
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